डॉ. संदीप पाटील
'आम्हा घरी धन शब्दांचीच रत्ने। शब्दांचीच शस्त्रे यत्न करूं।।’
Wednesday, May 25, 2011
रिश्ते
रिश्ते किसी से कुछ यूँ निभा लो !
की उसके दिल के सारे गम चुरा लो !!
इतना असर छोर दो किसी पे अपना !
की हर कोई कहे हमें भी अपना बना लो !
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